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फ्लो

विभा गल्होत्रा2015

Saat Saath Arts

Saat Saath Arts
New Delhi, भारत

धातु का एक बड़ा द्रव्य, शायद एक औद्योगिक दुर्घटना या कीड़ों के झुंड, कमरे के कोने से नीचे निकलता है और अधिकांश मंजिल को ढक देता है। यह काम "घुंघरू" से तैयार किया गया है, ये छोटे घंटियां हैं, जो नर्तकियों द्वारा पहनी जाती हैं, जो निरतकी को लय बनाये रखने मे मदद करती है और संगीत संगत में जोड़ती हैं। उनका मूल आदिवासी संस्कृतियों में पाया जाता है, ताकि जब वे पहने तो पहनने वाला की उपस्थिति प्राकृतिक स्थान पर महसूस की जा सके। हिंदू परंपरा के अनुसार, घुंघरू द्वारा बनाई गई आवाज को क्रिया-शक्ति के रूप में जाना जाता है, जो कि वातावरण में उत्सर्जित करती है ताकि किसी भी बुरी तरंगों या कंपनों का विरोध किया जा सके। गल्होत्रा ​​की मूर्तिकला में जादुई ताकतों सा महसूस होता है और मूर्तिकला की परिभाषाओं के सवाल होने की संभावना होती है, जो कि ठोस और सही है।

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  • टाइटल: फ्लो
  • निर्माता: विभा गल्होत्रा
  • निर्माण तारीख: 2015
  • भौतिक आयाम: 129 x 93 x 112 in | 328 x 236 x 284.5 cm
  • प्रकार: Sculpture
  • Contributor: Courtesy Exhibit 320, New Delhi
  • माध्यम: Nickel coated ghungroos, Fabric, PU
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