तलत महमूद – ग़ज़ल के एक ऐसे बादशाह जिनका कोई सानी नहीं

दुनिया भर में लाखों दिलों को छूने वाली अनोखी आवाज़

तलत महमूद हिन्दी सिनेमा के उन दिग्गज गायकों में से एक थे जिन्हें अलग आवाज़ के लिए जाना जाता था. एक ऐसी आवाज़ जो रोमांस, कविता, दिल को छू लेने वाली भावनाओं से लेकर उदासी तक की भावनाओं को बयान करती थी. 'ग़ज़लों के बादशाह' या 'शहंशाह ए ग़ज़ल' नामों के अलावा, उनकी लाजवाब गायकी की वजह से, उन्हें 'मैन विद द गोल्डन वॉइस' और 'वेलवेट वॉइस ऑफ़ इंडिया' जैसी उपाधियां भी दी गई थीं.

उन्होंने 1940 से 1980 के दशक में 800 से ज़्यादा गाने गाए. उन्होंने भारत में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाखों प्रशंसकों का दिल जीतकर, उन्हें अपनी सुरीली आवाज़ का दीवाना बना दिया. उन्होंने दुनिया भर में ढेरों परफ़ॉर्मेंस दीं. इनमें से सबसे यादगार परफ़ॉर्मेंस, लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल की थी. 


मशहूर गायिका लता मंगेशकर के बाद, तलत महमूद ऐसे दूसरे भारतीय प्लेबैक सिंगर थे जिन्होंने इस प्रतिष्ठित जगह पर परफ़ॉर्मेंस दी थी. इस लेख में बताया जाएगा कि किस वजह से तलत महमूद लोकप्रियता और सफलता के इस मकाम पर पहुंचे.

साल 1924 में लखनऊ में जन्मे तलत महमूद की रुचि कम उम्र से ही संगीत में थी. वे दिग्गज गायकों के भारतीय शास्त्रीय संगीत कार्यक्रमों में शामिल हुआ करते थे. 


बचपन से ही वे गायक और अभिनेता के॰एल॰ सहगल को पसंद करते थे और उनके जैसा बनने की ख्वाहिश रखते थे. परिवार के विरोध के बावजूद, तलत महमूद ने अपने सपने को चुना और मैरिस कॉलेज ऑफ़ हिंदुस्तानी म्यूज़िक से संगीत की पढ़ाई की.

Zenith Radio Corp. की Radio (ca. 1950)The Strong National Museum of Play

खास तरह की आवाज़ के धनी तलत महमूद की आवाज़ हर किसी का ध्यान आकर्षित कर लेती थी. उन्होंने 1939 में ऑल इंडिया रेडियो से अपने करियर की शुरुआत की थी. यहां उन्होंने गालिब, मीर दाग, और जिगर की लिखी ग़ज़लें गाईं.  

Sarod Sarod (ca. 1885)The Metropolitan Museum of Art

साल 1941 में, उन्होंने HMV के साथ अपना पहला गाना 'सब दिन एक समान नहीं था, बन जाउंगा क्या से क्या मैं, इसका तो कुछ ध्यान नहीं था' रिकॉर्ड किया. 


इस हिट गाने के बाद, 1944 में HMV लेबल के तहत, 'तस्वीर तेरी दिल मेरा बहला न सकेगी' ने काफ़ी लोकप्रियता हासिल की. इस दौरान, बेहद अच्छा दिखने की वजह से तलत महमूद को उनकी पहली तीन फ़िल्में मिलीं: राजलक्ष्मी (1945), तुम और मैं (1947), और समाप्ति (1949).

Samuel Bourne की Bombay, Victoria Terminus Station - G.I.P.R (late 1860s)Los Angeles County Museum of Art

साल 1949 में उन्होंने बॉलीवुड में गायक के तौर पर अपनी पारी की शुरुआत की. तलत महमूद ने संगीत निर्देशक अनिल विश्वास के लिए बॉम्बे (मुंबई) में अपना पहला गाना गाया था. दिलीप कुमार की फ़िल्म आरज़ू (1950) का गाना 'ए दिल मुझे ऐसी जगह ले चल, जहां कोई न हो' ने इस गायक की सफलता में चार चांद लगा दिए.

Sarod (ca. 1885)The Metropolitan Museum of Art


तलत महमूद ग़ज़ल के लिए संगीत निर्देशकों की सबसे पसंदीदा आवाज़ बन गए. इन निर्देशकों को उनका उर्दू उच्चारण और उनकी आवाज़ में अलग-अलग भावनाओं को व्यक्त करने वाली हरकत काफ़ी पसंद थी. 

हालांकि, कई संगीतकारों को उनकी आवाज़ के हिसाब से संगीत बनाना मुश्किल लगा. नौशाद, अनिल विश्वास, सलिल चौधरी, और शंकर जयकिशन ने ऐसे गाने बनाए जो इस शानदार गायक की प्रतिभा से पूरी तरह मेल खाते थे.

इस दौरान, उन्होंने अभिनय का काम जारी रखा. उनके अच्छे रंगरूप और फ़िल्मों में शानदार मौजूदगी से दर्शकों का दिल जीत लिया. वे कुल 13 फ़िल्मों में नज़र आए. इनमें, आराम (1951), वारिस (1954), एक गांव की कहानी (1957), सोने की चिड़िया (1958), और लाला रूख (1958) शामिल हैं. दरअसल, निर्माता-निर्देशक ए॰आर॰ कारदार ने एक टैलेंट-हंट, 'ऑल इंडिया ब्यूटी कॉन्टेस्ट' का आयोजन किया. ऐसा सिर्फ़ फ़िल्म दिल-ए-नादान (1953) में तलत के साथ मुख्य भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री को कास्ट करने के लिए किया गया था.


तलत महमूद के गानों की विशाल सूची में से किसी एक को चुनना आसान नहीं होगा. हालांकि, यहां कुछ गाने हैं जो आपको अमर प्रतिभा की झलक देंगे. 

Song: Jalte Hai Jiske Liye Teri Aankhon KeShemaroo

तलत की आवाज़, तड़प और उदासी ज़ाहिर करने के लिए जानी जाती थी. फ़िल्म सुजाता (1959) का गाना 'जलते है जिसके लिए तेरी आंखों के दिए' इसका एक उदाहरण है. मज़रुह सुल्तानपुरी के दिल को छू लेने वाले बोल और तलत की आवाज़ की हरकत ने, इस गाने को कई पीढ़ियों के लिए यादगार गाना बना दिया.

Song: Jalte Hai Jiske Liye Teri Aankhon KeShemaroo


'जलते है जिसके लिए तेरी आंखों के दिए, ढूंढ लाया हूं वही गीत मैं तेरे लिए' गाना, अभिनेता सुनील दत्त कहीं दूर बैठी अपनी प्रेमिका नूतन को टेलीफ़ोन पर सुना रहे हैं. 

Song: Milte Hi Aankhein Dil Hua DeewanaShemaroo

फ़िल्म बाबुल (1950) में शकील बदायूंनी के बोल, नौशाद के लाजवाब कंपोज़िशन, और तलत की मखमली आवाज़ ने कई हिट गाने दिए. 

Song: Milte Hi Aankhein Dil Hua DeewanaShemaroo


'मिलते ही आंखें दिल हुआ दीवाना' एक खुशनुमा रोमैंटिक गाना है, जिसे मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार और 40 के दशक की लोकप्रिय अभिनेत्री मुनव्वर सुल्ताना पर फ़िल्माया गया.

Song: Husn Walon Ko Na Dil DoShemaroo

बाबुल का एक और गाना 'हुस्न वालों को न दिल दो'. 

Song: Husn Walon Ko Na Dil DoShemaroo


यह गाना तलत की बहुमुखी प्रतिभा को दिखाता है. उनकी चंचल रोमैंटिक आवाज़ में यह गाना पर्दे पर दिलीप कुमार और मुनव्वर सुल्ताना की केमिस्ट्री के साथ पूरी तरह मेल खाता है.

Margaret Bourke-White की Rachel Carson's Sea (1952)LIFE Photo Collection

फ़िल्म टैक्सी ड्राइवर (1954) का गाना 'जाएं तो जाएं कहां'  तलत का एक और बेहतरीन गाना है. इसके बोल साहिर लुधियानवी ने लिखे हैं और संगीत एस॰डी॰ बर्मन का है. 


इस गाने में, अभिनेता देव आनंद को समुद्र के किनारे अकेले बैठकर क्षितिज को देखते हुए दिखाया गया है. सिनेमैटोग्राफी और तलत की आवाज़, देव आनंद के निभाए गए फ़िल्मी किरदार की उदासी और लालसा को दर्शाती है. 

Song: Mitwa Laagi Re Kaisi Yeh AnbujhShemaroo

फ़िल्म देवदास  (1955), प्रेमी देवदास की कहानी है, जो अपने बचपन के प्यार, पारो के लिए तरसता है. वह सामाजिक परिस्थितियों की वजह से उससे अलग हो जाता है. इस गाने में दर्शाए गए देवदास के दिल के दर्द को ज़ाहिर करने के लिए, तलत की आवाज़ से बेहतर कोई और आवाज़ नहीं हो सकती थी.

Song: Mitwa Laagi Re Kaisi Yeh AnbujhShemaroo


फ़िल्म देवदास का 'मितवा नहीं आए लागी रे कैसी ये अनभुज आग' इसका एक उदाहरण है.

Sony Computer Entertainment की Video game controller | guitar:Sony PlayStation 3 Gibson Les Paul Guitar Controller for Guitar Hero III: Legends of Rock (2007)The Strong National Museum of Play

60 के दशक के अंत में दूसरे प्लेबैक सिंगर के आने से प्रतिस्पर्धा बढ़ती गई. इसके चलते, तलत का गायकी में करियर धीरे-धीरे खत्म होता चला गया. डिस्को बीट और इलेक्ट्रॉनिक संगीत ने रोमैंटिक गानों और फ़िल्मी ग़ज़लों की जगह ले ली.

Sarod (ca. 1885)The Metropolitan Museum of Art

तलत ने फ़िल्मी गानों से दूरी बना ली और संगीत के रुझान को ध्यान में रखते हुए अपनी ग़ैर-फ़िल्मी ग़ज़लों पर ध्यान दिया. उनके गानों के ख़ज़ाने में मराठी, तेलुगु, कन्नड़, पंजाबी, सिंधी, गुजराती, और हिन्दी गाने शामिल हैं.


अपने शानदार करियर में तलत ने कई पुरस्कार जीते. इनमें, 1994 में भारत के राष्ट्रपति से मिला प्रतिष्ठित पद्म भूषण पुरस्कार शामिल है. फ़िल्म उद्योग के कई लोग उन्हें परफ़ेक्ट जेंटलमैन भी मानते थे. तलत ने वाकई में अमिट छाप छोड़ी है. फ़िल्म उद्योग और प्रशंसक, तलत महमूद को उनके शांत व्यवहार और कोमल आवाज़ के लिए हमेशा याद करते हैं.

क्रेडिट: सभी मीडिया
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