PuLa Deshpandeमूल स्रोत: P. L. & Sunita Deshpande Collection
पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे को प्यार से उनके नाम के शुरुआती अक्षरों, 'पुल' के नाम से भी जाना जाता है. उन्हें "महाराष्ट्र का सबसे चहेता शख्स" कहा जाता है. वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे और कई क्षेत्रों में उन्हें महारत हासिल थी. वे एक मशहूर लेखक, नाटककार, वक्ता, अभिनेता, निर्देशक, संगीतकार, हारमोनियम वादक, गायक, संस्कृति को सहेजने वाले, और परोपकारी व्यक्ति थे.
PuLa’s Birthplace in Gavadevi, Mumbaiमूल स्रोत: P. L. & Sunita Deshpande Collection
पी॰एल॰ देशपांडे का जन्म 8 नवंबर, 1919 को भारत के मुंबई की एक चॉल में हुआ था. उनका शुरुआती जीवन मुंबई के उपनगरीय इलाके, पार्ले में बीता. यह उस समय सांस्कृतिक गतिविधियों का गढ़ था.
In PuLa’s House with His Cultural Idolsमूल स्रोत: P. L. & Sunita Deshpande Collection
परफ़ॉर्मिंग आर्ट, साहित्य, और संगीत के क्षेत्र में बाल गंधर्व, राम गणेश गडकरी, रवींद्रनाथ टैगोर, और चार्ली चैप्लिन ने 'पुल' के शुरुआती जीवन को प्रभावित किया और इन हस्तियों को वे अपना आदर्श मानते थे.
"हमने प्राचीन काल में राजा जनक जैसे दार्शनिक राजा के बारे में सुना है, लेकिन चार्ली चैप्लिन में हमें एक दार्शनिक विदूषक की छवि दिखती है. उन्होंने विदूषक के मुखौटे के पीछे ज्ञान का भंडार और पीड़ित मानवता के लिए अपार सहानुभूति छिपा रखी थी. इस काम में उन्होंने अविश्वसनीय सफलता हासिल की. लाखों दर्शकों के लिए वे एक “आवारा” थे, जो खाने, छत, और प्यार की तलाश में भटकता रहता है और जिसकी किस्मत में कुछ नहीं है. उन्होंने हम सबको हंसाया, लेकिन वह हंसी अलग तरह की थी. इस हंसी ने हमारे मन को साफ़ कर दिया. यह किसी का मज़ाक़ उड़ाने और नीचा दिखाने वाली हंसी नहीं थी. उन्होंने अपनी कॉमेडी से हमें यह एहसास दिलाया कि 'इंसान वास्तव में कितना स्वार्थी हो गया है.' उन्होंने हमारी आत्मा की गहराई को छुआ है. हर महान कला हमारे साथ ऐसा ही करती है. [...] एक आम दर्शक के लिए वे एक विदूषक थे. जो लोग उनकी कला और दर्शन को समझ सकते थे उनके लिए वे एक मानवतावादी थे. इन सबके अलावा, जो लोग उनकी फ़िल्म में दिए गए संदेश के अर्थ को समझ सकते थे उनके लिए चार्ली चैप्लिन एक मसीहा थे."
– भारतीय फ़िल्म और टेलिविज़न संस्थान में, 16 अप्रैल, 1978 को चैप्लिन के सम्मान में स्मारक डाक टिकट जारी किए जाने के समारोह के दौरान पी॰एल॰ देशपांडे का भाषण.
Sunita Deshpandeमूल स्रोत: P. L. & Sunita Deshpande Collection
पुल की पत्नी, सुनीता देशपांडे अपने क्षेत्र की एक जानी-मानी हस्ती थीं और उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था. साथ ही, वे एक अभिनेत्री और पुरस्कार विजेता लेखिका थीं. पुल ने अपनी क्रिएटिविटी और सफलता का श्रेय हमेशा अपनी पत्नी को दिया.
पुल ने मराठी फ़िल्म उद्योग से परफ़ॉर्मिंग आर्ट की दुनिया में कदम रखा. साल 1947-1954 के दौरान (और 1993 में एक बार फिर), पुल ने 25 फ़िल्मों में अलग-अलग रूप में अपना योगदान दिया: मुख्य कलाकार, लेखक (कहानी, स्क्रीनप्ले, डायलॉग), संगीत निर्देशक, प्लेबैक सिंगर, और निर्देशक.
गुलाचा गणपति (1954), उनकी सबसे चर्चित फ़िल्मों में से एक थी, जिसे 'सबकुछ पुल' के नाम से भी जाना जाता है. इसकी वजह यह है कि उन्होंने फ़िल्म में हर तरह का योगदान दिया था, जैसे कि मुख्य अभिनेता, निर्देशक, लेखक, संगीत निर्देशक वगैरह. भीमसेन जोशी, वसंतराव देशपांडे, माणिक वर्मा, और आशा भोसले के लिए उनके कंपोज़ किए गए गाने काफ़ी लोकप्रिय हुए.
वे एक बहुमुखी प्रतिभा वाले अभिनेता थे, जिनके किरदार समाज के कई रूप को दर्शाते थे. इनमें साधु के किरदार से लेकर अपनी ही दुनिया में खोए रहने वाले दुकानदार का किरदार शामिल है. पर्दे पर पुल कई गानों में नज़र आए, जिन्हें प्लेबैक सिंगर सुधीर फडके ने अपनी आवाज़ दी.
PuLa Playing the Harmoniumमूल स्रोत: P. L. & Sunita Deshpande Collection
पुल का जीवन, संगीत के सभी पहलुओं में पूरी तरह रमा हुआ था. गायक और संगीतकार के तौर पर (ऑपरा, ड्रामा, कविता, और फ़िल्में), उन्हें उनकी सहजता और रचनात्मकता के लिए जाना जाता था. उन्हें शास्त्रीय और अर्ध-शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ पारंपरिक लोक संगीत के बारे में भी गहरी जानकारी थी. वे न सिर्फ़ अकेले हारमोनियम वादन के लिए जाने जाते थे, बल्कि उन्होंने मल्लिकार्जुन मंसूर, भीमसेन जोशी, वसंतराव देशपांडे, और कुमार गंधर्व जैसे लोगों के साथ भी हारमोनियम वादन करके अपनी पहचान बनाई.
पुल ने तीन संगीत ऑपरा (बिल्हन, अमृत-वृक्षा और संगीतिका) को कंपोज़ किया. बिल्हन और अमृत-वृक्षा को ऑल इंडिया रेडियो पर प्रस्तुत किया गया था. हालांकि, संगीतिका को पुल ने अपने वन-मैन शो में अकेले ही प्रस्तुत किया था.
Pandit Jawaharlal Nehru with PuLa – Broadcast Televisionमूल स्रोत: P. L. & Sunita Deshpande Collection
मुंबई में ऑल इंडिया रेडियो में कुछ साल काम करने के बाद, पुल उस कमीशन का हिस्सा बने जिसे ट्रेनिंग के लिए BBC भेजा गया था. यह ट्रेनिंग, भारत में टेलिविज़न की शुरुआत से संबंधित थी.
PuLa – Broadcast Televisionमूल स्रोत: P. L. & Sunita Deshpande Collection
वे परफ़ॉर्मिंग आर्ट को ऑडियो-विज़ुअल मीडियम पर दिखाने के इच्छुक थे. इसके ज़रिए, वे दर्शकों की बड़ी संख्या तक पहुंचना चाहते थे.
PuLa and Madhu Kadam in the Play 'Vatvat'मूल स्रोत: P. L. & Sunita Deshpande Collection
हालांकि, पुल को मंच पर परफ़ॉर्म करना बहुत पसंद था और उनके दर्शक उन्हें काफ़ी अच्छी तरह से समझते थे. वे एक लोकप्रिय नाटककार, मंच अभिनेता, और नाटक निर्देशक थे.
Bal Thackeray का Cartoon on PuLa’s Showमूल स्रोत: P. L. & Sunita Deshpande Collection
उनके लोकप्रिय नाटक, जैसे कि वार्यावारची वारत, वटवत, और तुझे आहे तुज़ा पाशी को दर्शकों की भारी भीड़ खींचने के लिए जाना जाता था. उनके नाटकों के दृश्य और मज़ाक़िया संवाद, हमेशा शहर के लोगों के बीच चर्चा का विषय रहते थे. रोज़मर्रा की भाषा में अक्सर इन दृश्यों और संवादों को शामिल किया जाता था.
PuLa in His One-Man Showमूल स्रोत: P. L. & Sunita Deshpande Collection
पुल का सबसे लोकप्रिय मंच नाटक 'बटाट्याची चाल' था. इसमें उनका एकल अभिनय था. साथ ही, इसका लेखन, दिग्दर्शन, और संगीत भी उन्होंने ही दिया था. इसलिए, इस नाटक को वन-मैन शो भी कहा जाता है. यह नाटक करीब तीन घंटे का था. इसमें उन्होंने चॉल में रहने वाले काल्पनिक पात्रों के एक पूरे समाज की रचना की थी. नाटक में दर्शकों से जुड़ने वाले संवाद, तर्क-वितर्क, नाटक करने में आने वाली चुनौतियां, और कई तरह के अलग-अलग किरदार वह अकेले कर लेते थे, वह भी सिर्फ़ एक स्कार्फ़ और कोट में. इसके लिए, वह एक छोटी सी लकड़ी की बेंच के अलावा किसी और चीज़ का इस्तेमाल नहीं करते थे. उन्होंने इस वन-मैन- शो को 1961 से 1975 तक परफ़ॉर्म किया.
PuLa Directing His Play 'Tee Phoolrani'मूल स्रोत: P. L. & Sunita Deshpande Collection
एक नाटककार के रूप में, पुल ने कई लोकप्रिय नाटकों को मराठी भाषा और मराठी संस्कृति में रूपांतरित किया: गोगोल का इंस्पेक्टर जनरल, शॉ का पिगमेलियन, और ब्रेख्त का थ्री पेनी ऑपरा. ये अनुवाद नहीं, बल्कि रूपांतरण थे. इस ज़रूरी बदलाव की बुद्धिजीवियों और दर्शकों ने एक सुर में तारीफ़ की.
Bhakti Barve in 'Tee Phoolrani'मूल स्रोत: P. L. & Sunita Deshpande Collection (Yaa Sama Haa Documentary)
अपनाए गए किरदारों को मंच पर निभाते हुए, उन्होंने जो मोनोलॉग दिए उन्हें खास पहचान मिली. इन्हें भाषा, निर्देशन, और अभिनय के लिए सराहा गया. भक्ति बर्वे के टी फ़ूलरानी (शॉ के पिगमेलियन का रूपांतरण) का मोनोलॉग, जिसमें फूल बेचने वाली एक सीधी-सादी अनपढ़ लड़की बदला लेने का सपना देखती है. हालांकि, आखिर में वह अपने भाषा सिखाने वाले सख्त मिज़ाज के शिक्षक पर दया दिखाती है. यह नाटक, संगीत, नृत्य, और कविता जैसी कलाओं को मिलाकर बनी एक शानदार पेशकश थी.
पुल ने शायद एक महान लेखक के तौर पर सबसे ज़्यादा लोकप्रियता हासिल की. उन्होंने अलग-अलग शैली के बहुत से निबंध लिखे: हंसी-मज़ाक़, व्यंग्य, कार्टून, निजी स्केच (फ़िक्शन और नॉन-फ़िक्शन दोनों), सोचने पर मजबूर कर देने वाले लेख, यात्रा से जुड़ी जानकारी, और ड्रामा. उन्होंने 60 से ज़्यादा किताबें पब्लिश कीं.
उनकी किताब, व्यक्ती आणि वल्ली को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला. बटाट्याची चाल और असा मी असामी, इन दोनों ही किताबों ने काफ़ी लोकप्रियता हासिल की, जिन्हें उन्होंने बाद में वन-मैन शो के तौर पर मंच पर परफ़ॉर्म किया. इन नाटकों में उन्होंने अपने समय की मराठी संस्कृति और समाज के हिसाब से कुछ काल्पनिक किरदार गढ़े थे और उस दौर को मंच पर दर्शाया था.
PuLa’s Biographical Piece on Babasaheb Purandare
जीवनी पर आधारित उनके स्केच की वजह से बहुत से पाठकों को प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ताओं, कलाकारों, संगीतकारों, और बुद्धिजीवियों के बारे में जानने का मौका मिला. उनके निबंधों से, अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाली इन प्रमुख हस्तियों के योगदान और व्यक्तित्व की सराहना करने की समझ विकसित होती है.
PuLa’s Speech at Jagatik Marathi Parishad (1989)मूल स्रोत: P. L. & Sunita Deshpande Collection
पुल अपने भाषण के लिए काफ़ी लोकप्रिय थे. उनके प्रवाह, सहजता, सोचने पर मजबूर करने वाले विचार, और हंसी-मज़ाक़ ने कई दर्शकों को लुभाया. खास तौर पर, कला और संस्कृति के बारे में उनके भाषणों को काफ़ी पसंद किया गया.
PuLa Giving a Speechमूल स्रोत: P. L. & Sunita Deshpande Collection
पुल का भाषण सिर्फ़ मनोरंजन, कला और संस्कृति तक ही सीमित नहीं था. उन्होंने एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कई भाषण दिए. उदाहरण के लिए, आपातकाल के दौरान अभिव्यक्ति की आज़ादी पर लगी रोक का विरोध करना या अंधविश्वास (अंध श्रद्धा) के ख़िलाफ़ बोलना. ये सामाजिक संदेश प्रेरणा देने वाले थे. साथ ही, ये संदेश खुद को जानने और आत्मचिंतन के लिए भी प्रोत्साहित करते थे.
PuLa and Sunita Deshpande – 'Borkar Kavita Vaachan'मूल स्रोत: Dr. Shraddhanand Thakur
पुल देशपांडे और उनकी पत्नी सुनीता देशपांडे ने अपने कुछ पसंदीदा कवियों की रचनाओं को प्रस्तुत करके, कविता के प्रति अपने प्रेम को साझा किया.
A Program in NCPA PuLa Organized and Presentedमूल स्रोत: P. L. & Sunita Deshpande Collection
पुल ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने वाले नैशनल सेंटर फ़ॉर परफ़ॉर्मिंग आर्ट्स जैसे संस्थानों को आकार देने में भी मदद की (पहले ऐडवाइज़री बोर्ड मेंबर और बाद में ऑनरेरी डायरेक्टर के रूप में). एनसीपीए में, उन्होंने संग्रह से जुड़े अहम काम किए. साथ ही, कई प्रोग्राम को बनाया और उन्हें पेश किया. ऐसा उन्होंने क्षेत्रीय संगीत, नाटक, और कविता को लोगों के सामने लाने के मकसद से किया. पुल, संगीत नाटक अकादमी में भी काफ़ी सक्रिय रहे थे. साथ ही, उन्होंने पुणे में बाल गंधर्व रंगमंच की परिकल्पना करने के साथ-साथ उसके निर्माण में भी सहायता की थी.
PuLa’s Speech at Muktangan Rehabilitation Centerमूल स्रोत: P. L. & Sunita Deshpande Collection
किसी की कमाई का मालिकाना हक रखने के बजाय, ट्रस्टीशिप के विचार का पालन करते हुए, पुल और सुनीता देशपांडे ने अपने जीवन को साधारण रखा. साथ ही, उन्होंने सोच-समझकर चुने गए सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं को खुलकर दान दिया: बाबा आमटे आनंदवन फ़ॉर लेप्रोसी, मुक्तांगन सेंटर फ़ॉर एडिक्शन रिहैबिलिटेशन, इंटर-यूनिवर्सिटी अकैडमी ऑफ़ एस्ट्रोनॉमी ऐंड ऐस्ट्रोफ़िज़िक्स फ़ॉर साइंस एजुकेशन, और ब्लड बैंक ऐसी कुछ संस्थाएं हैं.
पुल ने अनगिनत अवॉर्ड और ख्यातियां हासिल कीं : बड़े नागरिक सम्मान (पद्मश्री, पद्मभूषण), सांस्कृतिक पुरस्कार (साहित्य और संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड), तीन ऑनरेरी डॉक्टरेट...
पुल का निधन 12 जून, 2000 को पुणे में हुआ. उनकी दूसरी बरसी पर, भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया.
MV Kulkarni का PuLa Deshpande Udyan (Pune) Photographमूल स्रोत: MV Kulkarni
पुल के जीवन और उनकी रचनाओं की याद में, उन्हें कई श्रद्धांजलियां दी गईं. महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई में न्यू परफ़ॉर्मिंग आर्ट्स अकैडमी को पी॰ एल॰ देशपांडे महाराष्ट्र कला अकादमी का नाम दिया. पुणे की नगरपालिका ने उनके सम्मान में एक गार्डन बनाया, जिसका नाम पुल देशपांडे उद्यान रखा गया. साथ ही, उनके सम्मान में उनके घर और उस गली को सांस्कृतिक विरासत स्थल घोषित कर दिया गया जहां वे रहते थे.
पुल की शताब्दी के साल (2018-19) को न सिर्फ़ महाराष्ट्र में, बल्कि दुनिया भर में मराठी लोगों ने अलग-अलग त्योहार के रूप में इसे मनाया. इस दौरान, उनकी लिखावट का एक डिजिटल फ़ॉन्ट बनाया गया और उनकी ऑडियो बुक पब्लिश की गईं. साथ ही, मशहूर लेखकों, कवियों, और संगीतकारों के साथ हुई उनकी बातचीत को भी पब्लिश किया. इस बहुआयामी व्यक्तित्व की सांस्कृतिक विरासत आज भी जीवित है.
PuLa Deshpande Working on His Writing Tableमूल स्रोत: P. L. & Sunita Deshpande Collection
"लेखन किसी ऐसे व्यक्ति की लगातार खोज करना है जो आपको समझे, आपके साथ रहे या आपके साथ आंसू बहाए. [...] मैं हंसा: पहले मैं अपने ऊपर हंसा, फिर मेरे पाठक और दर्शक भी मुझ पर हंसे, और फिर अचानक उन्हें एहसास हुआ कि वे खुद पर हंस रहे हैं. मेरा मानना है कि सामाजिक स्वास्थ्य के लिए यह अच्छा है. [...] मुझे साहित्य पसंद है, लेकिन मैं उससे सौ गुना ज़्यादा प्यार करना चाहूंगा. मैं ऐंग्री यंग मैन नहीं हूं; मैं एक हंग्री यंग मैन हूं. मैं कन्नड़ कविताएं पढ़ना चाहता हूं, [...], तमिल उपन्यास, बांग्ला भाषा के नाटक, तेलुगु गाने--मैं साहित्य को सौ अलग-अलग रूप में पसंद करना चाहता हूं. मेरी एकलौती फ़िक्र यह है कि मैं इसे पूरी तरह प्यार नहीं कर पाता."
– साहित्य अकादमी पुरस्कार भाषण के उदाहरण. पूरा ट्रांसक्रिप्शन पी॰ एल॰ देशपां
जीवन, कला, और संस्कृति पर उनके विचार और नज़रिए, कई पीढ़ियों को प्रेरित करते आए हैं.
पी॰एल॰ देशपांडे और सुनीता देशपांडे के कलेक्शन के सौजन्य से मिली तस्वीरें
आशुतोष और दिनेश ठाकुर के सौजन्य से टेक्स्ट और क्यूरेशन
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