हंपी: गुम हो चुके शहर की गाथा

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Virupaksha Temple, Hampiअतुल्य भारत!

हंपी में इतिहास और पौराणिक गाथाएं जीवंत हो उठती हैं. हंपी, तुंगभद्रा नदी के तट पर बना हुआ है एक बहुत पुराना और मशहूर शहर है.

कमल महल में एक मंदिर है जिसके लिए कहा जाता है कि यहां भगवान शिव और देवी पार्वती की शादी हुई थी. इस परिसर में रानियों के लिए स्नानगृह भी बनाया गया था. यूनेस्को की विश्व धरोहरों की सूची में शामिल यह स्थान हर मोड़ पर इतिहास के नए पहलू को दर्शाता है.

भले ही शक्तिशाली विजयनगर साम्राज्य के तहत बनाई गई शानदार संरचनाएं अब खंडहर हो गई हैं, लेकिन ये हंपी के समृद्ध अतीत की गवाही देती हैं. ये 1336 और 1646 ईस्वी के दौरान मौजूद थीं.

एक चट्टान पर हनुमान और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां

हंपी का ज़िक्र भारतीय महाकाव्य रामायण में भी है. कहा जाता है कि यहीं पर वानरों का राज्य किष्किन्ध हुआ करता था. यह कोई हैरानी की बात नहीं है कि हंपी को 2019 में न्यू यॉर्क टाइम्स की 'मस्ट-विज़िट डेस्टिनेशन' सूची में दूसरा स्थान मिला है.

हंपी, विजयनगर साम्राज्य की आखिरी राजधानी थी. यह दक्षिण भारत के सबसे महान साम्राज्यों में से एक था. इसके धनी राजाओं ने अनोखे मंदिरों और महलों को बनवाया था जिन्हें देखने 14वीं और 16वीं सदी में दूर दूर से यात्री आते थे.

हालांकि बाद में हंपी को लूट के तबाह कर दिया गया लेकिन अब भी यहां 1600 से ज़्यादा इमारतें हैं जिनमें महल, किले, स्मारक संरचनाएं, मंदिर, स्तम्भों से भरे सभागार और गलियारे शामिल हैं.

पत्थर के मंदिरों का नज़ारा

हंपी एक खूबसूरत इलाके में मौजूद हैं. कई किलोमीटर लंबे ऊबड़-खाबड़ इलाके और कई बड़ी-बड़ी चट्टानों की वजह से यहाँ पहाड़ लांगना, ट्रैकिंग करना और अनेक एडवेंचर स्पोर्ट के शौकीन लोगों के बीच यह बहुत मशहूर है.

जहां इन चट्टानों के टुकड़े थे वहां आज ढेर सारे ताड़ के पेड़, केले के बागान, और धान के खेत हैं. आज यह शहर एक पर्यटन केंद्र है. यहां बहुत सारे भक्त, एडवेंचर के शौकीन, और रोमांच की तलाश करने वाले सैलानी आते हैं.

विरुपाक्ष मंदिर

विरुपक्ष मंदिर इस इलाके की सबसे पुरानी संरचनाओं में से एक है. यह हंपी बाज़ार में मौजूद है और इसे सातवीं सदी में बनाया गया. कहा जाता है कि यह मंदिर भगवान शिव के लिए बनाया गया था.

विरुपक्ष मंदिर के करीब 49 मीटर ऊंचे गोपुरम को 1442 ईसवी में बनाया गया था.

आज, मुख्य मंदिर में भगवान शिव के अवतार भगवान विरुपक्ष की पूजा होती है.

विरुपक्ष मंदिर का गोपुरम इतना ऊंचा है कि ऐसा लगता है मानो वह आसमान छू रहा हो. इसके बाहरी हिस्से में प्लास्टर की मूर्तियां बनी हैं जिनकी वजह से मंदिर को खास पहचान मिलती है.

विरुपक्ष मंदिर, हंपी का इकलौता मंदिर है जिसमें आरम्भ से पूजा होती आ रही है. इसमें गर्भ-गृह और आंगन मौजूद हैं. आंगन में खंभे लगे हैं. इनमें से सबसे बड़े 100 खंभों वाले मंदिर में आगे के कमरे, बड़े गोपुरम, और कई छोटे मंदिर हैं. साथ ही, मंदिर में रसोई और प्रशासनिक कार्यालय भी है.

मुख्य दरवाज़े में नौ बड़ी कतारें हैं और छोटे दरवाज़े से मंदिर के आंगन तक जा सकते हैं. भगवान शिव की तीन सिर वाली मूर्ति और नंदी बैल मुख्य आकर्षण हैं.

दिसंबर में इस मंदिर के मुख्य देवता विठ्ठल का विवाह देवी पंपा से होने का समारोह मनाया जाता है. इस समय यहां हज़ारों की संख्या में लोग आते हैं. यहां जाने का एक और अच्छा समय फ़रवरी है, जब सालाना रथ-उत्सव मनाया जाता है.

विठ्ठल मंदिर

हंपी का विठ्ठल मंदिर 16वीं सदी में बनाया गया. यह उस इलाके का सबसे सुंदर मंदिर है. साथ ही, यह विजयनगर की वास्तुकला को सबसे अच्छे से दिखाता है. शानदार नक्काशी के साथ बनाया गया यह मंदिर हंपी का सबसे लोकप्रिय मंदिर है. विठ्ठल मंदिर का मुख्य आकर्षण आंगन में मौजूद एक शानदार पत्थर का रथ है.

यह पत्थर का रथ विजयनगर वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है. कहा जाता है कि भगवान विष्णु की सवारी गरुड़ का मंदिर है.

ऐसा कहा जाता है कि बारीक फूलों के डिज़ाइन से सजे इस रथ के पहिये किसी ज़माने में मोड़े जा सकते थे. अब भी इसकी तीलियों को देखकर लगता है कि किसी दिव्य शक्ति के निर्देश पर ये फिर से चलने लगेंगे.

रथ, मुख्य मंदिर, और कुछ छोटी इमारतें, बड़े आंगन में मौजूद हैं. यह आंगन चारों तरफ़ से बंद है और इसमें तीन खूबसूरत दरवाज़े हैं. मुख्य मंदिर में भगवान विठ्ठल की पूजा होती है जो भगवान विष्णु का अवतार हैं.

विठ्ठल मंदिर के महामंडप में हाथी की बहुत बड़ी मूर्ति है. कहा जाता है कि इस जगह पर सांस्कृतिक कार्यक्रम होते थे.

विठ्ठल मंदिर मंदिर परिसर में कल्याण मंडप और उत्सव मंडप जैसी इमारतें शामिल हैं. इसमें वसंतोत्सव मंडप के अलावा एक बाओली भी है.

हंपी की अनोखी विशेषताओं में से एक है इसके खूबसूरत नक्काशीदार संगीत वाले खंभे. ऐसा कहा जाता है कि जब इन खंभों पर लकड़ी की छड़ी से बजाया जाता था, तो इनसे 81 तरह के संगीत वाद्ययंत्रों की आवाजें निकलती हैं.

लोक कथाओं के हिसाब से, अंग्रेज़ शासक इन खंभों से इतने प्रभावित हो गए थे कि वे जानना चाहते थे कि संगीत कैसे निकलता है, और यह समझने के लिए उन्होंने कुछ खंभे गिरा दिए थे.

आभार: कहानी

वर्चुअल रियलिटी दौरा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सौजन्य से

क्रेडिट: सभी मीडिया
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