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ताम्र-प्लेट शिलालेख, तिरुचेंदुर

18th century

Sarmaya Arts Foundation

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भारत

यह तमिल में अंकित अठारहवीं शताब्दी की तांबे की प्लेट है।

यह 1760 ई. का एक रिकॉर्ड है, जिसमें कहा गया है कि कोट्टारू अलोरुपेट्टई, शिवकाशी विरुधुगुपेट्टी और शिवथोंडु मनादुपेट्टई समेत गांवों के व्यापारी कपास, तंबाकू और कालचट्टई (पतलून) के साथ-साथ पूजा (पूजा) के लिए अपना मासिक खर्च देते थे। तिरुचेंदूर में मठ (मठ) में अवनि (पारंपरिक तमिल कैलेंडर का पांचवां महीना) के महीने में महेश्वर का अनुष्ठान।

तिरुचेंदूर, जिसे तिरु चीयर अलवई के नाम से भी जाना जाता है, भगवान मुरुगन के पवित्र मंदिरों में से एक है। यह बंगाल की खाड़ी के तटरेखा के निकट स्थित है। यह तांबे की प्लेट गैर-विनाशकारी धातु पर कानूनी रिकॉर्ड बनाने की प्रथा का एक अच्छी तरह से संरक्षित उदाहरण है। प्लेट के शीर्ष भाग में मंदिर के पीठासीन देवताओं को दर्शाया गया है, जिसके केंद्र में मुरुगन हैं और दोनों तरफ उनकी पत्नी वल्ली और देवनाई हैं। बाईं ओर गणेश की छवि है, और दाईं ओर एक मोर है, जो इष्टदेव का वाहन है।

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  • टाइटल: ताम्र-प्लेट शिलालेख, तिरुचेंदुर
  • निर्माण तारीख: 18th century
  • भौतिक आयाम: 36.6 cm x 19.8 cm
  • प्रकार: Copper Plate Inscription
  • माध्यम: Copper Sheet
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