कलाकार ने राजस्थानी शैली में एक कुर्सी के साथ शुरुआत किया है, जो की लकड़ी से बनाये गये हैं और जिसे एक प्राचीन वस्तुओं की दुकान में पाया गया, और इनसब को सीमेंट में डाल दिया गया। सामग्रियों का यह सरल परिवर्तन बेचैनी महसूस कराता है, जिसे आमंत्रित होना चाहिए था वो दरअसल ठंडी और भूतिया है। वह इसका उपयोग किसी अजीब बर्तन, नौवहन उपकरण या साधारण मशीन के समान करती है। विस्तारित हाथ (लकड़ी के बीम से कंक्रीट डाली गयी) कुर्सी के ऊपर से छेड़छाड़, बिजली के तारों से अनिश्चितता से बंधी हुई है। भारती खेर को उन मूर्तियों को बनाने मे आनंद मिलता है जो असंतुलित और अनसुलझे होते हैं। उनकी सामग्री अक्सर प्रच्छन्न होती है और उनका संदर्भ रहस्यमय होता है।