दो मूर्तियां आंगन में एक दूसरे के सामने हैं। दोनों एक संत के पैर पर बैठी हैं जो कमाल की मुद्रा में ध्यान में लीन है। एक चट्टानों का एक ढेर को संभाल रखा है, दूसरे ने एक टूटे हुए पहिये को। आध्यात्मिकता के ये प्रतीक ताश की गद्दी की तरह गडमड हैं, जो नई, अचंभित करने वाली व्यवस्था के साथ आ रहे हैं। आप के स्वयं के विपरीत सहिष्णुता और असहिष्णुता दोनों को किसी व्यक्ति या किसी चीज़ सामना करना पड़ता है या उन चीजों का जिनसे आप सहमत नहीं हैं या जिन्हें स्वीकार नहीं करते। एल.एन.तल्लूर की मूर्तियां यह दर्शाती हैं कि यह टकराव आंतरिक हो सकता है और जरूरी नहीं कि कोई और को कुछ और शामिल हो।