बेगम हज़रत महल, जो अवध की बेगम के नाम से भी प्रसिद्ध थीं, अवध के नवाब वाजिद अली शाह की दूसरी पत्नी थीं। अंग्रेज़ों द्वारा कलकत्ते में अपने शौहर के निर्वासन के बाद उन्होंने लखनऊ पर क़ब्ज़ा कर लिया और अपनी अवध रियासत की हकूमत को बरक़रार रखा। अंग्रेज़ों के क़ब्ज़े से अपनी रियासत बचाने के लिए उन्होंने अपने बेटे नवाबज़ादे बिरजिस क़द्र को अवध के वली नियुक्त करने की कोशिश की थी; मगर उनका शासन जल्द ही ख़त्म होने की वजह से उनकी यह कोशिश असफल रह गई। उन्होंने 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के ख़िलाफ़ विद्रोह किया। अंततः उन्होंने नेपाल में शरण मिली जहाँ उनकी मृत्यु 1879 में हुई थी।