Dastkari Haat Samiti
दस्तकारी हाट समिति
लेहरिया टाई-डाई
राजस्थान की रेगिस्तानी संस्कृति की कहानी भारत के कई कपड़ा शिल्पों में से एक, लेहरिया राजस्थान का मशहूर शिल्प है. यहां, शिल्पकार अपनी रचना में रेगिस्तान की जिंदगी को दिखाते हैं. लेहरिया एक तरह का कपड़ा है जिसमें कपड़े के हर एक कोने को रंग-बिरंगा या शेवरॉन धारियों को रिज़िस्ट डाई से तैयार किया जाता है. यह रिज़िस्ट तकनीक राजस्थान में खासी मशहूर है. इसके मुख्य केंद्र जयपुर और जोधपुर शहर हैं.
Badshah Mian की Leheriya Tie-Dye: Leheriya textile (2010)Dastkari Haat Samiti
लेहरिया डिज़ाइन, राजस्थान के रेगिस्तान में रेत पर हवा से बनने वाले प्राकृतिक नज़ारों से प्रेरित है.
Unknown की Leheriya Tie-Dye: Royal saafas or turban cloth (16th-18th century)Dastkari Haat Samiti
रॉयल साफ़ा या पगड़ी का कपड़ा, अज्ञात, 16वीं-18वीं शताब्दी, दस्तकारी हाट समिति के संग्रह से बिंदीदार टाई एंड डाई और तिरछे धारीदार लेहरिया के लिए मशहूर ये कपड़े के टुकड़े, 17वीं शताब्दी के बाद के हैं.
रॉयल साफ़ा या पगड़ी का कपड़ा, अज्ञात, 16वीं-18वीं शताब्दी, दस्तकारी हाट समिति के संग्रह से ये आकृतियां आम तौर पर प्रकृति से प्रेरित होती हैं, जैसे कि छोटे-छोटे छेदों के बीच पक्षियों के नज़ारे. 17वीं शताब्दी में जो रंग इस्तेमाल किए जाते थे उन्हें पौधों और खनिजों से तैयार किया जाता था.
रॉयल लिंकेज
जयपुर में काम करने वाले टाई एंड डाई शिल्पकार, नीलघर रंगरेज़ समुदाय से आते हैं. इनमें से ज़्यादातर रामगंज के नीलघर नल्ला इलाके में रहते हैं. लेहरिया और इसका दूसरा डिज़ाइन मोथरा, विकर्ण डिजाइनों के दो सेट हैं जो एक दूसरे को बांध कर तैयार किए जाते हैं. इनसे आयताकार और वर्ग के आकार की खाली जगह का डिज़ाइन बनता है. इसे रैप रिज़िस्ट तकनीक कहते हैं. राजस्थान के राजपूत शासकों ने इसे पहचान दी. वे लेहरिया पगड़ी के कपड़े के तौर पर इसका इस्तेमाल करते थे.
Margaret Bourke-White की India's Caste System (1946)LIFE Photo Collection
भारतीय जाति प्रणाली, मार्गरेट बॉर्के-व्हाइट, 1946, लाइफ़ फ़ोटो के संग्रह से रंगीन पट्टियों और शेवरॉन शैली के साथ, लेहरिया को राजस्थान के शाही परिवार भी नियमित रूप से इस्तेमाल करते थे.
Badshah Mian की Leheriya Tie-Dye: Leheriya textile (2010)Dastkari Haat Samiti
अलग-अलग तरह के लेहरिया डिज़ाइन में नौ तरह के रंगों तक का इस्तेमाल किया जाता है. इसे तैयार होने में एक महीने तक लगता है.
बेहतरीन कारीगरों को उनका घर-परिवार चलाने के लिए कुछ ज़मीन या अनाज दिया जाता था.
Unknown की Leheriya Tie-Dye: Royal saafas or turban cloth (16th-18th century)Dastkari Haat Samiti
रॉयल साफ़ा या पगड़ी का कपड़ा, अज्ञात, 16 वीं -18 वीं शताब्दी, दस्तकारी हाट समिति के संग्रह से
हर एक शाही परिवार के अपने लेहरिया डिज़ाइन और रंग होते थे.
तस्वीर में दिखाए गए कपड़ों का इस्तेमाल खास तौर पर साफ़ा या पगड़ी के तौर पर शाही घराने के लिए किया जाता था.
Unknown की Leheriya Tie-Dye: Royal saafas or turban cloth (16th-18th century)Dastkari Haat Samiti
बंगाल के मलमल से प्रेरित, खास तौर पर बारीक करघे पर बुने जाने वाला साफ़ा, शाही घराने से जुड़े कारीगरों के ज़रिए अनोखे लेहरिया डिज़ाइन में तैयार किया जाता था.
Leheriya Tie-Dye: Bandhani turban (2017-08)Dastkari Haat Samiti
भारत में राजशाही खत्म हो चुकी है, लेकिन साफ़ा आज भी पारंपरिक राजस्थानी पोशाक का एक खास हिस्सा है. यह राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में आम तौर पर पहना जाता है.
Leheriya Tie-Dye: Open air shop display (2017-08)Dastkari Haat Samiti
ओपन एयर शॉप डिसप्ले, खुला बाज़ार
इस तरह की दुकानें, जयपुर के पुराने बाज़ार की रोज़मर्रा की ज़िंदगी का अहम हिस्सा हैं. यहां पारंपरिक साफ़ा बिकता है जिसे राजस्थान के पुरुष पहनते हैं. यहां साफ़े के साथ-साथ, शिल्पकार बेहतरीन तकनीक से साड़ी और परदे भी बनाते हैं. राजस्थान के लोग इन्हें रोज़ाना पहनते हैं. साथ ही, शादियों और त्योहारों के समय इन्हें ज़्यादा पसंद किया जाता है. जैसे कि गणगौर और तीज, वसंत और मानसून के आने पर भी इसे पहना जाता है.
शादी के दिनों में लाल, पीले, और नारंगी रंग के लेहरिया डिज़ाइन, पुरुषों को काफ़ी पसंद आते हैं.
Badshah Mian की Leheriya Tie-Dye: Leheriya textile (2010)Dastkari Haat Samiti
आकर्षक गुलाबी लेहरिया साड़ी को शुभ माना जाता है. साथ ही, इस साड़ी को दुल्हन की शादी के बाद पहली तीज के मौके पर पहनने के लिए खास तौर पर बनाया जाता है.
स्थानीय तौर पर मशहूर चमकीली और आकर्षक गुलाबी रंग की साड़ी 'रानी पिंक' के नाम से खासी लोकप्रिय है. यह राजस्थान का मशहूर रंग है. यह राजस्थान की रानियों का पसंदीदा रंग रहा है, इसलिए इसका नाम 'रानी' पिंक रखा गया.
Badshah Mian की Leheriya Tie-Dye: Leheriya textile (2010)Dastkari Haat Samiti
आज, लेहरिया कपड़ों को बेहिसाब रंगों और डिज़ाइन में तैयार किया जाता है जो कि एक विकसित संस्कृति का हिस्सा है.
Badshah Mian की Leheriya Tie-Dye: Leheriya textiles (2010)Dastkari Haat Samiti
लेहरिया कपड़े के बारे में यहां और जानें:
- प्रक्रिया
- बादशाह मियां, मास्टर शिल्पकार
- बाज़ार
क्रेडिट: कहानी
टेक्स्ट: आलोका हिरेमथ, जया जेटली, और प्रेमा दत्ता
फ़ोटोग्राफ़ी: सुलेमान मर्चेंट
कारीगर: बादशाह मियां और उनका परिवार
ग्राउंड फ़ैसिलिटेटर: चारु वर्मा
क्यूरेटर: रुचिरा वर्मा
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