Anari (Film Poster 02)Shemaroo
40 से 60 के दशक को बॉलीवुड का स्वर्ण युग माना जाता है जिसमें बरसात (1949) श्री 420 (1955) और अनाड़ी (1959) जैसी महान कृतित्व वाली फ़िल्में देखी गईं।
इस युग ने राज कपूर, देव आनंद, दिलीप कुमार, मधुबाला, वैजयंती माला, वहीदा रहमान जैसे कई सुपरस्टारों को जन्म दिया, जिन्होंने अपनी अनोखी अभिनय शैली से अपनी पहचान बनाई। 70 के दशक में बॉलीवुड में मुख्य रूप से ज़ंजीर (1973), शोले (1975) और अमर अकबर एंथोनी (1977) जैसी रोमांस और एक्शन ब्लॉकबस्टर फ़िल्मों का बोलबाला रहा। हालाँकि, 80 का दशक बॉलीवुड सिनेमा के लिए गेम-चेंजर था।
80 के दशक की फिल्में एक्शन, ड्रामा, रोमांस, सस्पेंस, थ्रिलर और कॉमेडी का मिश्रण थीं। इन फिल्मों को ‘मसाला फिल्में’ कहा जाता था क्योंकि तीन घंटे की ये फ़िल्में विविध विषयों की एक विस्तृत शृंखला से भरी होती थीं। बहुमुखी प्रतिभा के इस युग में, दर्शकों का मनोरंजन मसाला फिल्मों से तो हुआ, लेकिन अर्ध सत्य (1983), जाने भी दो यारों (1983), मिर्च मसाला (1987), एक डॉक्टर की मौत (1990) जैसे प्रयोगात्मक सिनेमा ने भी उन्हें उतना ही आकर्षित किया।
Film Poster for the movie SoutenShemaroo
80 के दशक में फ़ैमिली ड्रामा बेहद लोकप्रिय हुए। इन फ़िल्मों का कथानक मध्यवर्गीय संयुक्त परिवारों के इर्द-गिर्द घूमता था और अधिकांश फ़िल्मों के शीर्षक कथानक का संकेत देते थे।
इन फ़िल्मों में दहेज, लव मैरिज, बेवफ़ाई और पारिवारिक कलह जैसे विषय आम थे। इसमें एक्शन, रोमांस और डांस का भी भरपूर मिश्रण था जिसने सचमुच में इन्हें मसाला फिल्म बनाया। यहाँ 80 के दशक के 5 लोकप्रिय पारिवारिक फ़िल्मों में से कुछ दिए गए हैं।
Song: Kismat Ki Baazi Ka Faisla ToShemaroo
आप तो ऐसे ना थे (1980)
आप तो ऐसे ना थे एक ऐसा पारिवारिक ड्रामा है, जिसमें एक अमीर लड़की को एक साधारण परिवार के लड़के से प्यार हो जाता है। यह बॉलीवुड का बहुत ही जाना पहचाना प्लॉट है। और 80 के दशक में इस थीम का बार-बार प्रयोग हुआ है।
अंबरीश संगल द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म में लोकप्रिय स्टार राज बब्बर ने उभरते सितारों रंजीता कौर और दीपक पराशर के साथ स्क्रीन साझा की थी। ये तीनों फ़िल्म के गाने 'किस्मत की बाज़ी' में साथ नज़र आए थे।
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फ़िल्म में एक गाना है ‘तू इस तरह से’ जिसे तीन गायकों मोहम्मद रफी, मनहर उधास और हेमलता ने गाया था। यह रोमांटिक गाना बॉलीवुड फैन्स का काफी पसंदीदा गाना है। इस संस्करण में प्रसिद्ध मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ है।
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Avtaar Movie Booklet Avtaar Movie BookletShemaroo
अवतार (1983)
अवतार 80 के दशक की प्रमुख हिट फ़िल्मों में से एक थी और इसने 1984 में आयोजित 31वें फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों में कई पुरस्कार जीते थे। कहानी में प्यार, कठिनाइयों और सफलता सहित कई विषयों को दर्शाया गया है।
अवतार ने 80 के दशक की एक आम कहानी को भी प्रदर्शित किया - माता-पिता के साथ उनके कृतघ्न और बेपरवाह बच्चों द्वारा बुरा व्यवहार किया जाता है। इस फ़िल्म में सुपरस्टार राजेश खन्ना और अभिनेत्री शबाना आज़मी मुख्य भूमिका में थे। उस वर्ष उन्होंने ऑल-इंडिया क्रिटिक्स एसोसिएशन (AICA) का सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी जीता।
Song: Chalo Bulawa Aaya HaiShemaroo
80 के दशक की फिल्मों में दृढ़ धार्मिक आस्था वाले परिवारों को दर्शाया गया था। फ़िल्मों में ऐसे कई दृश्य दिखेंगे जिनमें अभिनेताओं को ईश्वर से प्रार्थना करते या ईश्वर में सांत्वना पाने के लिए तीर्थ यात्रा पर निकलते हुए दिखाया गया है।
अमृत फ़िल्म का एक लोकप्रिय भक्ति गीत है - 'चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है' - जिसे महेंद्र कपूर, आशा भोसले नरेंद्र चंचल ने गाया है। इस गाने में अभिनेता राजेश खन्ना और अभिनेत्री शबाना आज़मी अपने बीमार बच्चे को ठीक करने की उम्मीद में तीर्थयात्रा पर निकलते हैं। यह गाना आज भी कई भारतीय धार्मिक आयोजनों में बजाया जाता है।
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Souten Movie Booklet Souten Movie BookletShemaroo
सौतन (1983)
सौतन को मॉरीशस में फ़िल्माई गई पहली बॉलीवुड फ़िल्म होने का दावा किया जाता है। यह 80 के दशक की उन फिल्मों में से है जिसमें एक साधारण लड़के और एक अमीर लड़की के बीच प्यार, यह थीम लगातार आता रहा है। हालाँकि, इस फिल्म में अवैध संबंधों या विवाहेतर संबंधों का विषय भी है।
Song: Shayad Meri Shaadi Ka KhayalShemaroo
सौतन में सुपरस्टार राजेश खन्ना के साथ थीं मशहूर अभिनेत्री टीना मुनीम। पद्मिनी कोल्हापुरे ने 'दूसरी औरत' की भूमिका निभाई थी। महान गायिका लता मंगेशकर का गाया मशहूर गाना ‘शायद मेरी शादी का ख्याल’ इसी फ़िल्म का है।
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Song: Ghar Tere Aaoongi Dulhan Ban KeShemaroo
घर संसार (1986)
फ़िल्म की कहानी पूरी तरह से परिवार और खून के रिश्तों पर आधारित है। फ़िल्म में सुपरस्टार जितेंद्र और श्रीदेवी के साथ मशहूर कॉमेडियन कादर खान भी हैं। कहानी इस बारे में है कि घर का सबसे बड़ा बेटा, जिसका किरदार जितेंद्र ने निभाया है, कैसे मौका मिलने पर आगे बढ़ता है और अपने परिवार को बचाने के लिए ग़रीबी और बेरोज़गारी से लड़ता है।
इस पारिवारिक फ़िल्म में एक गाना ‘घर तेरे आऊँगी दुल्हन बनके’ है जो जितेंद्र और श्रीदेवी के बीच की बेहद पसंद की जाने वाली ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री को दर्शाता है। बॉलीवुड की एक हिट जोड़ी के रूप में, उन्होंने हिम्मतवाला (1983), जस्टिस चौधरी (1983) और तोहफ़ा (1984) जैसी कई मनोरंजक फ़िल्में दीं।
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Song: Chalo Chalo Chalen Door KahinShemaroo
सिंदूर (1987)
सिंदूर एक मल्टीस्टारर फ़िल्म है जिसमें दिग्गज अभिनेता शशि कपूर के साथ-साथ जयाप्रदा, गोविंदा, नीलम, कादर खान, शक्ति कपूर, गुलशन ग्रोवर, अरुणा ईरानी और असरानी शामिल हैं। इस फ़िल्म में सुपरस्टार ऋषि कपूर और जीतेंद्र भी ख़ास भूमिका में नज़र आए थे।
फ़िल्म की कहानी वैवाहिक संबंधों, विश्वास और निष्ठा पर केंद्रित है। सिंदूर में अभिनेता गोविंदा और नीलम का एक लोकप्रिय गाना ‘चलो चलो दूर कहीं’ है।
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Song: Kisi Se Jab Pyar Hua Yun LagaShemaroo
घर घर की कहानी (1988)
80 के दशक की बॉलीवुड फ़िल्में ऐसी संयुक्त हिंदू परिवारों के बारे में भी थीं जहाँ सास अपनी बहुओं को परेशान करती थी। घर घर की कहानी इसी विषय पर आधारित एक ऐसी फ़िल्म है।
इस फ़िल्म में, पद्मा खन्ना और जया प्रदा द्वारा अभिनीत बहुओं को शशिकला द्वारा अभिनीत अपनी सास के दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। यह कहानी पारिवारिक रिश्तों में नफ़रत और अविश्वास जैसी अन्य मानवीय भावनाओं को भी चित्रित करती है।
हर बॉलीवुड मसाला फ़िल्म की तरह इस फ़िल्म में भी कई गाने हैं; उनमें से एक है ‘किसी से जब प्यार हुआ यूँ लगा।'
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Song: Aa Ja Aa Khele Game KoiShemaroo
जैसी करनी वैसी भरनी (1989)
जैसी करनी वैसी भरनी, यानि 'जो बोओगे, वही काटोगे', 80 के दशक के लोकप्रिय कथानक को चित्रित करता है जिसमें बच्चों द्वारा अपने माता-पिता के प्रति दुर्व्यवहार और अपने माता-पिता की पूरी ज़िंदगी की बचत को पाने के उनके लालच को दर्शाया गया है।
इस फिल्म में, कादर ख़ान को उनके बेटे और बहु द्वारा धोखा दिया जाता है। बेटे का किरदार शक्ति कपूर और बहू का किरदार शोमा आनंद ने निभाया है। हालाँकि, फ़िल्म में कादर ख़ान के पोते का किरदार गोविंदा ने निभाया है जो अपने माता-पिता के गलत व्यवहार का बदला लेना चाहता है।
‘आ जा आ खेलें’ जैसे गाने अभिनेता गोविंदा के नृत्य कौशल को भी प्रदर्शित करती है।
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Song: Yeh Jo Halka Halka Suroor HaiShemaroo
सौतन की बेटी (1990)
सौतन और सौतन की बेटी का निर्देशन सावन कुमार टाक ने किया था। कई अन्य पारिवारिक फ़िल्मों की तरह, सौतन की बेटी भी 'दूसरी औरत' विषय पर केंद्रित है। यह कहानी भारतीय समाज की एक और महत्वपूर्ण वास्तविकता को भी उजागर करती है - नाजायज़ बच्चे को बहिष्कृत माना जाना।
फिल्म में अभिनय किया है- सुपरस्टार जितेंद्र, रेखा और जया प्रदा ने। ‘ये जो हलका हलका सुरूर है, सब तेरी नज़र का कसूर है’ – यह गाना फ़िल्म के निर्देशक सावन कुमार टाक ने लिखा था।
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इनमें से अधिकतर पारिवारिक फ़िल्में दक्षिण भारतीय फ़िल्मों के रीमेक थे। अवतार जैसे अपवाद भी थे जिसे दक्षिण भारत की चारों भाषाओं में बनाया गया था। 80 के दशक के बॉलीवुड पारिवारिक फ़िल्मों की कहानी भले ही दोहराव वाले हों, लेकिन उनके आकर्षण ने हर उम्र के दर्शकों का मनोरंजन किया।
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