अजंता: भारतीय कला की जन्मस्थली

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औरंगाबाद से करीब 107 कि.मी. दूर स्थित, अजंता में 32 बौद्ध गुफाओं का लोकप्रिय समूह है. यह एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है. यहां दिखाई गई 26वीं गुफा, अजंता में मौजूद गुफाओं में सबसे बड़ी है.

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दक्षिणपथ के प्राचीन व्यापार मार्ग पर स्थित, अजंता का शुरुआती काम ज़्यादातर व्यापारियों ने पैसे देकर करवाया था. इसके बाद, वाकाटक राज-कुल ने गुफाओं का काम करवाया. इन दानियाें की कहानियों को गुफाओं में उकेरा गया है और उनके चित्र भी बनाए गए हैं. यह अजंता की 17वीं गुफा का नज़ारा है.

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अजंता में बनी कलाकृतियाें में कुषाण काल की गांधार और मथुरा कला शैलियाें को दिखाया गया है. साथ ही, यहां गुप्त काल की सारनाथ कला शैली, और सातवाहन और इक्ष्वाकु काल की अमरावती कला शैली में भी कई कलाकृतियां हैं. यह अजंता की दूसरी गुफा का नज़ारा है.

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चट्टान काट-काटकर अजंता में बनाई गई ये गुफाएं, या ताे चैत्य (यानी मंदिर या प्रार्थना करने की जगह), विहार (यानी मठ) हैं या रहने के लिए बनवाई गई हैं. यह अजंता की 8वीं गुफा का नज़ारा है.

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ईसा पूर्व की दूसरी सदी में बनी यह 9वीं गुफा एक चैत्यगृह है जो बौद्ध धर्म के हीनयान संप्रदाय से जुड़ी है. यहां अंदर आने के लिए एक नक्काशीदार दरवाज़ा है. साथ ही, इसके सामने के खूबसूरत हिस्से में भगवान बुद्ध की मूर्तियां बनी हुई हैं. इसमें एक केन्द्रीय सभाभवन हैं और दोनाें तरफ़ खिड़कियां हैं. इस गुफा में वास्तुकला की एक अलग शैली देखने को मिलती है.

इसमें एक लाइन में बने आठ कोनो वाले खंभे दूर से देखने पर सकरे हाेते नज़र आते हैं.

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अजंता में मठ 8वीं सदी ईसवी तक चलाए गए थे, लेकिन 1819 तक उनके बारे में काेई नहीं जानता था.

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यहां दिखाई गई 10वीं गुफा, 9वीं गुफा की तरह एक चैत्य है. अजंता की इन दो गुफाओं में, भारत में बनी पहली पेंटिंग के शुरुआती अवशेष हैं.

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यहां दिखाई गई 19वीं, 26वीं और 29वीं गुफा, महायान काल के चैत्य हैं. दूसरी सभी गुफाएं विहार (यानी मठ) हैं.

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अजंता की गुफाएं भगवान बुद्ध के जीवन के बारे में बताती हैं. इसमें उनके पिछले सांसारिक जीवन और जातक कथाओं, दाेनाें के बारे में बताया गया है.

यहां दिखाई गई 26वीं गुफा, एक चैत्य है और इसमें भगवान बुद्ध की एक ऐसी मूर्ति बनी है जिसमें वह 80 साल के हैं. ऊपर दिखाया गया है कि दैवीय शक्तियां भगवान बुद्ध के आने की खुशियां मना रही हैं, और नीचे, उनके जाने पर शिष्य शोक मनाते हुए दिखाए गए हैं.

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15वीं गुफा में, भगवान बुद्ध के जीवन को दर्शाते विभिन्न चित्र, बोधिसत्व की अवदान कहानियां, वैपुल्य सूत्र ग्रंथ के महायान विषयों पर आधारित जातक कथाएं और पैनल हैं, जाे कई कहानियाें से लाेगाें काे रू-ब-रू कराते हैं.

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17वीं गुफा अजंता की सबसे बेहतरीन कलाकृतियाें में से एक है. यह गुफा सुंदर चित्रों से सजी है. एक चित्र में एक राजकुमारी को उसकी सेविका सजने-संवरने में मदद कर रही हैं. वहीं, दूसरे चित्र में, भगवान बुद्ध ज्ञान पाने के बाद अपनी पत्नी से विनती करने के लिए घर वापस आते हैं. इस दौरान उनका बेटा हैरान हाेकर उन्हें देख रहा है. इसके अलावा, एक और शानदार चित्र में शाही जुलूस और भगवान बुद्ध की पूजा करने वाली अप्सराएं दिखाई गई हैं.

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बीच के हिस्से से दिखाई दे रहा यह विशाल नज़ारा, चट्टान काटकर बनाई गई अजंता की गुफाओं की शानदार झलक दिखाता है.

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जंगली पेड़-पौधाें से घिरी अजंता की गुफाएं, दक्कन के पठार के ज्वालामुखी लावा काे काटकर बनाई गई हैं. ये गुफाएं, सह्याद्रि के एक हिस्से में अर्धचंद्राकार रूप में फैली हुई हैं. ये गुफाएं दक्षिणपथ के प्राचीन व्यापार मार्ग पर स्थित हैं और इन्हें बौद्ध धार्मिक कला के बेहतरीन उदाहरणों में से एक माना जाता है.

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कठोर चट्टानों और हरियाली के बीच एक शांत और खूबसूरत जगह है, वाघाेरा झरना जाे वाघाेर नदी से निकलता है. सात जगहाें से गुज़रने के बाद, यह नदी 28वीं गुफा की ओर बहती है जिससे आस-पास की खूबसूरती बढ़ती है.

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अजंता की गुफाओं में से एक यही गुफा है जिसमें दाे-मंज़िला विहार बने हैं. साथ ही, इस गुफा में भगवान बुद्ध का बैठी हुई मुद्रा में एक चित्र बना है. मंदिर जाने का रास्ता एक नक्काशीदार दरवाज़े के बीच से है.

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छठी गुफा की ऊपरी मंज़िल कोठरियाें से घिरी हुई है और दरवाज़ाें पर खूबसूरत चित्र और मूर्तियां बनी हैं.

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सातवीं गुफा में बना मंदिर अपने आप में खास है, क्योंकि इसमें भगवान बुद्ध का बैठी हुई मुद्रा में चित्र है जिसमें उनके सिर के पीछे एक चक्र भी बना है.

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इस शानदार चैत्य के सामने के हिस्से पर बेहद बारीकी से चित्र उकेरे गए हैं. 19वीं गुफा में घोड़ों के जूते के आकार की खिड़कियां हैं और बाहरी हिस्सा नक्काशीदार है. अपनी इन खूबियों के लिए यह मशहूर है. मज़बूत और भारी शरीर वाले यक्ष मुख्य दरवाज़े की दाेनाें तरफ़ बने हुए हैं. इसके साथ ही, मुख्य दरवाज़े पर और भी बेहद खूबसूरत कलाकृतियां बनी हैं.

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24वीं गुफा एक अधूरा विहार है और अगर यह पूरा हो गया हाेता, ताे यह अजंता का सबसे बड़ा विहार हाेता. शायद इसमें एक सभा-भवन बनाने की योजना थी जिसमें एक कतार के खंभे और एक गर्भगृह हाेता. ऐसा माना जाता है कि यह गुफा अजंता में खोदी जाने वाली सबसे आखिरी गुफाओं में से एक है.

आभार: कहानी

वर्चुअल रियलिटी दौरा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सौजन्य से

क्रेडिट: सभी मीडिया
कुछ मामलों में ऐसा हो सकता है कि पेश की गई कहानी किसी स्वतंत्र तीसरे पक्ष ने बनाई हो और वह नीचे दिए गए उन संस्थानों की सोच से मेल न खाती हो, जिन्होंने यह सामग्री आप तक पहुंचाई है.
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